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एस्पेरांतो भाषा के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन का प्राग इश्तिहार

पिछली तब्दीली: ८ नवम्बर २०११


एस्पेरांतो की प्रगति चाहने वाले हम लोग सभी सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, और सज्जनों के नाम यह इश्तिहार जारी कर रहे हैं; यहाँ दिये गए उद्देश्यों की ओर दृढ़ निश्चय से काम करने की घोषणा कर रहे हैं; और सभी संस्थाओं और लोगों को हमारे प्रयास में जुटने का निमंत्रण दे रहे हैं।

एस्पेरांतो -- जिसका आग़ाज़ 1887 में अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिये एक सहायक भाषा के रूप में हुआ था, और जो जल्दी ही अपने आप में एक जीती जागती ज़बान बन गई -- पिछली एक शताब्दी से लोगों को भाषा और संस्कृति की दीवारों को पार कराने का काम कर रही है। जिन उद्देश्यों से पिछली सदी से एस्पेरांतो बोलने वाले प्रेरित होते आए हैं, वो उद्देश्य आज भी उतने ही महत्वपूर्ण और सार्थक हैं। दुनिया भर में कुछ ही राष्ट्रीय भाषाओं के इस्तेमाल होने मात्र से, या संप्रेषण तकनीकों में प्रगति से, या भाषा सिखाने के नए तौर-तरीक़ों से, ये निम्नलिखित मूल्य जिन्हें हम सच्ची और साधक भाषा प्रणाली के लिए अनिवार्य मानते हैं, यथार्थ में रूपांतरित नहीं हो पायेंगे।

लोकतंत्र

ऐसी संचार-प्रणाली जो किसी एक को ख़ास फ़ायदा देते हुए औरों से यह माँग करे कि वे एक मामूली क़ाबिलियत प्राप्त करने के लिए सालों तक कोशिश करते रहें, ऐसी प्रणाली बुनियादी तौर पर अलोकतांत्रिक है। यद्यपि एस्पेरांतो, और ज़बानों की तरह ही, हर मायने में परिपूर्ण नहीं है, पर विश्वव्यापी समानता-आधारित संप्रेषण के लिए, एस्पेरांतो बाकी भाषाओं से कहीं बेहतर है।

हम मानते हैं कि भाषा असमता हर स्तर पर, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी, संचार असमता को पैदा करती है। हमारा आंदोलन लोकतांत्रिक संप्रेषण का आंदोलन है।

विश्वव्यापी विद्या

हर जातीय भाषा किसी ना किसी संस्कृति और देश से मिली-जुड़ी हुई है। मिसाल के तौर पे, अंग्रेज़ी सीखता छात्र दुनिया के अंग्रेज़ी बोलने वाले देशों के बारे में सीखता है -- ख़ास कर, अमेरिका और इंग्लैंड के बारे में। एस्पेरांतो सीखने वाला छात्र एक ऐसी दुनिया के बारे में सीखता है जिसमे सीमाएँ नहीं हैं, जहाँ हर देश उसका घर है।

हमारा मत है कि हर भाषा में दी गयी विद्या किसी ना किसी दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है। हमारा आंदोलन विश्वव्यापी विद्या का आंदोलन है।

प्रभावशील विद्या

विदेशी भाषा सीखने वालों में कुछ प्रतिशत ही विदेशी भाषा में धाराप्रवाह कुशलता हासिल कर पाते हैं। एस्पेरांतो में घर बैठ कर पढ़ाई करने से भी धाराप्रवाह कुशलता हासिल कर पाना मुमकिन है। कई शोध-पत्रों में साबित किया गया है कि एस्पेरांतो सीखने से अन्य भाषाओं का सीखना आसान हो जाता है। यह भी सुझाया गया है कि भाषा-चेतना के पाठ्यक्रमों की बुनियाद में ही एस्पेरांतो सम्मिलित होना चाहिए।

हमारा मत है कि जिन विद्यार्थियों को दूसरी भाषा सीखने से फ़ायदा हो सकता है, उन विद्यार्थियों के लिए विदेशी भाषाएँ सीखने की कठिनाइयाँ हमेशा एक दीवार बन कर खड़ी रहेंगी। हमारा आंदोलन प्रभावशील भाषाग्रहण का आंदोलन है।

बहुभाषिकता

एस्पेरांतो समुदाय उन चुने-गिने विश्वव्यापी समुदायों में से है जिनका हर सदस्य दुभाषी या बहुभाषी है। इस समुदाय के हर सदस्य ने कम से कम एक विदेशी भाषा को बोलचाल-स्तर तक सीखने का प्रयास किया है। कई बार इस कारण अनेक भाषाओं का ज्ञान और अनेक भाषाओं के प्रति प्रेम पैदा हुआ है -- निजी मानसिक-क्षितिजों का विस्तार हुआ है।

हम मानते हैं कि हर इनसान को -- चाहे वो छोटी ज़बान बोलने वाला हो, या बड़ी -- उच्च-स्तर तक एक दूसरी ज़बान सीखने का मौक़ा मिलना चाहिए। हमारा आंदोलन वह मौक़ा हर एक को देता है।

भाषा-अधिकार

भाषाओं की ताक़त के नज़रिए से असमान स्थिति, दुनिया में ज़्यादातर लोगों में भाषा असुरक्षा पैदा करती है, या फिर यह असमानता खुले आम भाषा जनित अत्याचार का रूप लेती है। एस्पेरांतो समुदाय का हर सदस्य, चाहे वो ताक़तवर या बलहीन ज़बान का बोलने वाला हो, हर दूसरे सदस्य से एक समान स्तर पर मिलता है, समझौता करने के लिए तय्यार। भाषा अधिकारों और ज़िम्मेदारियों का यह संतुलन, अन्य भाषा जनित असमानताओं और संघर्षणों की कसौटी है।

हम मानते हैं कि कई अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में व्यक्त किया गया यह सिद्धांत कि भाषा जो भी हो, बरताव एक ही होगा, भाषाओं में ताक़त के आधार पर असमानताओं के कारण असफल हो रहा है। हमारा आंदोलन भाषा-अधिकारों का आंदोलन है।

भाषा विभिन्नता

सरकारें दुनिया की विशाल भाषागत विविधता को संचार और तरक़्क़ी के रास्ते में एक दीवार मानती हैं। मगर एस्पेरांतो समुदाय भाषा विविधता को एक अत्यावश्यक और चिरंतन पूँजी के रूप में देखती है। इस कारण, हर भाषा, हर प्रकार के जीव-जंतु की तरह, सहायता और सुरक्षा के लायक़ है।

हमारा मत है कि संप्रेषण और विकास की नीतियाँ जो सभी ज़बानों के सम्मान और सहायता पर आधारित नहीं है, ऐसी नीतियाँ दुनिया के अधिकतर भाषाओं के लिए सज़ा-ए-मौत साबित होंगी। हमारा आंदोलन भाषाई विविधता का आंदोलन है।

मानव मुक्ति

हर ज़बान उसके बोलने वालों को क़ैद और रिहा दोनो करती है, उनको एक दूसरे से बात करने की क्षमता देती है पर औरों से संचार के रास्ते बंद करती है। विश्वव्यापी संप्रेषण के उद्देश्य से तैयार की गयी एस्पेरांतो, मानव मुक्ति को सार्थक बनाने की एक अहम योजना है -- एक ऐसी योजना जिससे हर इन्सान अपनी स्थानीय संस्कृति और ज़बानी पहचान में बसे हुए पर उन तक सीमित न रहकर, मानव जाति की गतिविधियों में पूरी तरह भाग ले सकता है।

हम मानते हैं कि केवल जातीय भाषाओं पर आधारित रहना अभिव्यक्ति, संप्रेषण, और संगठन की स्वतंत्रता में अवश्य ही बाधाएँ पैदा करती है। हमारा आंदोलन मानव बंधनमुक्ति का आंदोलन है।

प्राग, जुलाई १९९६


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